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Showing posts from June, 2018
सुनो, ये इश्क हमारा नही। इस इश्क को किताबों के पन्नों में महफूज़ रहने देते हैं, क्यूँ कि हम-तुम इसे समझ पाए ये वो वक्त नहीं, ये इश्क हमारा नहीं। अगर तुझसे इश्क करना गुलामी हैं तो कर लेती ये वाला इश्क भी। भूल जाती अपनी पसंद-नापसंद और वो लड़की भी कहीं खो जाएँगी जिसने तुझे अपनी पसंद बना कर बेधड़क तुझसे प्यार किया जब वो इस इश्क का मतलब भी नहीं जानती थी। ये इश्क हमारा नहीं। वो तो कहीं चला गया, मीलों दूर. . . तुझसे भी और मुझसे भी। बस फर्क अब इतना हैं, तू रूक नहीं सकता और मैं जा नहीं सकती।